भारत का ऐसा मंदिर जहा पर पूजा में प्याज चढाया । क्या है इस मंदिर की सचाई क्यों चठाया जाता है दाल और प्याज जाने पूरी जानकारी

गोगामेडी में स्थित गोगाजी और गुरु गोरखनाथ मंदिर का पूरा इतिहास जानिए कहानी और मेले से जुड़ी और भी जानकारियां हिंदी में जानिए


गोगा जी को क्यों कहा जाता है राजस्थान का लोक देवता। क्या इस गोगा जी के मंदिर का सच जाने पूरी जानकारी।


दोस्तों आज मैं आपको गोगामेड़ी के मंदिर का इतिहास बताने जा रहा हूं जब हम गोगामेडी मंदिर जाते हैं तो वहां की फेमस परंपरा है कि मंदिर में प्याज और दाल चढ़ाई जाती है भक्तजनों के द्वारा कोई मंदिर ऐसा नहीं मिलेगा जहां पर दाल और प्याज चढ़ाई जाए एक गोगामेडी ऐसा मंदिर है जहां पर डाल और प्याज चढ़ाई जाती है प्रसाद के रूप में वर्षभर मंदिर में प्याज का ढेर लगा हुआ रहता है 



दान में आए प्याज को बेचकर गौशाला और भंडारे का आयोजन किया जाता है उसे भक्त जनों को खान-पान में कोई दिक्कत नहीं आती है
इस मंदिर में हिंदू और मुसलमानों दोनों दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं सभी के लिए अलाउ है


1. गोगाजी के मंदिर का इतिहास (Gogaji Temple History)

दोस्तों आज मैं आपको गोगा जी के मंदिर का इतिहास बता रहा हूं तो सुनिए गोगा जी को राजस्थान का लोक देवता माना जाता है जिस की जन्म स्थली चूरू जिले के ददरेवा गांव में हुई थी उनका जन्म राजस्थान के ददरेवा चुरु चौहान वंश में हुआ था वह राजपूत शासक रहे थे गोगा जी को गुरु गोरखनाथ के नाम से जाना जाता है और इसी नाम से मंदिर फेमस है



दोस्तों 1000 वर्ष पहले गोगाजी और आक्रमणकारी महमूद गजनबी के बीच युद्ध हुआ था तो युद्ध में गोगाजी के आसपास के इलाकों से सेना बुलाई थी लड़ाई के दौरान सैनिकों ने अपने साथ रसद में दाल और ब्याज भर कर लाए थे इस युद्ध में गोगा जी वीरगति को प्राप्त हो गए थे उनकी मृत्यु के बाद वापसी के दौरान उसकी समाधि पर सैनिकों ने प्याज और दाल चढ़ा दिया इसीलिए मंदिरों में गोगाजी के मंदिरों में प्याज और दाल का चढ़ाई जाती है गोगा के कोई पुत्र जीवित ने होने से उसके भाई बैरसिया उसके पुत्र उदय राज दरबार के राना बने



सभी धर्म के लोग यहां पर दूर-दूर से दर्शन करने के लिए आते हैं यह मंदिर इतना ज्यादा खूबसूरत बन गया है कि आपको देखने का बहुत मन करेगा दोस्तों आप भी कभी गोगामेडी मंदिर जाइएगा तो आपको भी पता चल जाएगा के मंदिर कितना शानदार है और वहां पर जाओ तो प्याज और दाल जरूर खरीदें क्योंकि वहां की परंपरा ही प्याज और दाल पर टिकी हुई है सभी लोग प्याज और दाल ही चढ़ाते हैं प्रसाद के रूप में इस तरह पर एक धर्मनिरपेक्ष देवता के रूप में यहां विराजमान है


एक मान्यता के अनुसार दरबार में आने वाले हर भक्त को सबसे पहले गोरख गंगा में स्नान करके अपने पानी से खीर बना कर खाना चाहिए जिसके बाद भक्तों को गोरख टीला पर जाकर मंदिर में प्याज का प्रसाद चढ़ाना

2. गोगाजी के मंदिर का मेला

हेलो दोस्तों आज मैं आपको गोगा जी के मंदिर के मेले के बारे में बता रहे हैं जा रहा हूं दोस्तों को गाजी के मंदिर में दूर-दूर से अजनबी लोग आते हैं अपना व्यवहार लगाने के लिए यहां पर वह बहुत सारे तरह की दुकान खोलते हैं जैसे प्रसाद हुआ खिलौनों की दुकान हुई आदि सभी दुकाने खुली हुई होती हैं और वहां पर जो भक्तजन आए होते हैं वहां से खरीदारी करते हैं 


गोगाजी और गुरु गोरखनाथ मंदिर यहां लगाने वाले मेले के कारण भी मशहूर है यहां पर 15 दिन का मेला हर साल लगता है जोकि रक्षाबंधन के दूसरे दिन से शुरुआत होता है इसमें सर्वाधिक भीड़ कृष्ण पक्ष और छठ छठ सप्तमी को और अष्टमी को होती है


1.गोगा जी के मंदिर का रास्ता

दोस्तों सड़क मार्ग से यहां पहुंचना बहुत ही आसान है जयपुर शहर देश के सभी राष्ट्रीय मार्ग से जुड़ा हुआ है जयपुर से सादलपुर और सादलपुर से 15 किलोमीटर दूर स्थित तंत्र खेड़ा बस या किसी टैक्सी के द्वारा पहुंचा जा सकता है गोगामेडी मंदिर में


2. रेल मार्ग

जयपुर से लगभग 28 किलोमीटर दूर स्थित सादलपुर तक ट्रेन द्वारा जाया भी सकता है जिसके बाद आपको बस या टैक्सी की सहायता से गोगामेडी मंदिर जाना होगा


3. वायु मार्ग

गोगादेव जन्म स्थान के समय निकटतम हवाई अड्डा ढाई सौ किलोमीटर दूर जयपुर में स्थित है दोस्तों दुनिया में ऐसी बहुत सारी प्रथाएं जो कि इंसान को काफी हैरान कर देती है फिर भी उसमें से कहीं ना कहीं कुछ सच्चाई जरूर


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