Jitiya Vrat 2022: जितिया पर्व का निर्जला उपवास आज, यहां देखें पूजा विधि, मुहूर्त और पारण का सही समय साइड जाने पूरी जानकारी हिंदी मै।

Jitiya Vrat 2022: जितिया पर्व का निर्जला उपवास आज, यहां देखें पूजा विधि, मुहूर्त और पारण का सही समय साइड जाने पूरी जानकारी हिंदी मै।


जरुरी बातें–;

Jitiya Vrat 2022 Live: जीवित्पुत्रिका व्रत 2022 नहाय खाय कल, 17 सितंबर, दिन शनिवार को था, जबकि निर्जला उपवास 18 सितंबर यानी को रखा जा रहा है. महाभारत के युद्ध में जब द्रोणाचार्य का वध कर दिया गया ।

 उनके पुत्र आश्वत्थामा ने क्रोध में आकर ब्राह्रास्त्र चल दिया, जिसकी वजह से अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहा शिशु नष्ट हो गया । तब भगवान कृष्ण ने इसे पुनः जीवित किया। इस कारण इसका नाम जीवित्पुत्रिका रखा गया ।

 तभी से माताएं इस व्रत को अपनी संतान की लंबी उम्र की कामना से करने लगीं। जानें जितिया व्रत तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत के नियम और पारण का समय क्या है आइए जानते हैं और जानकारी


जितिया व्रत में क्या-क्या सामग्री आवश्यक है:–

इस व्रत में भगवान जीमूतवाहन, गाय के गोबर से चील सियारिन की पूजा का विधान है. जीवित्पुत्रिका व्रत में खड़े अक्षत (चावल), पेड़ा, दूर्वा की माला, पान, लौंग, इलायची, पूजा की सुपारी, श्रृंगार का सामान, सिंदूर, पुष्प, गांठ का धागा, कुशा से बनी जीमूतवाहन की मूर्ति, धूप, दीप, मिठाई, फल, बांस के पत्ते, सरसों का तेल, खली, गाय का गोबर पूजा में जरूरी है आइए दोस्तों और जाने जितिया  व्रत में क्या-क्या जरुरी बात है ।


जितिया व्रत पूजा विधि कैसे होती है –:

आइए दोस्तों इस व्रत की विधि को जानते हैं इस व्रत में कौन-कौन सी जानकारी आप सके हैं और लोग इस व्रत के दौरान क्या-क्या करते हैं आइए पूरी जानकारी जानते हैं।

 लोग सुबह सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें इसके बाद भगवान जीमूतवाहन की पूजा करें. इसके लिए कुशा से बनी जीमूतवाहन की प्रतिमा को धूप-दीप, चावल, पुष्प आदि अर्पित करें. इस व्रत में मिट्टी और गाय के गोबर से चील व सियारिन की मूर्ति बनाई जाती है।

 इनके माथे पर लाल सिंदूर का टीका लगाया जाता है. पूजा समाप्त होने के बाद जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा सुनी जाती है. पारण के बाद यथाशक्ति दान और दक्षिणा दें ।


अन्य जानकारी–;

जीमूतवाहन की प्रतिमा जल में स्थापित करके पूजा शुरू की जाती है. पूजा में धूप, दीप, अक्षत, फूल, माला अर्पित कर पूजा की जाती है. प्रतिमा पर सिंदूर का टीका लगाया जाता है. कहते हैं इससे मनचाहा वरदान मिलता है बच्चों के जीवन में सुख-समृद्धि आती है.


दोस्त हमारा आशिकाना को पढ़ने में कैसा लगा आप इस आर्टिकल से प्रसन्न नहीं या नहीं यह कमेंट में बताएं और हमारे पोस्ट अपने दोस्तो आप परिवार वालो लोगों को करे ताकि वह भी इस व्रत के बारे में पूरी जानकारी जान सके।







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